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शहीद जवानों की यादों को ताजा कर रहा गढ़चिरोली पुलिस का ‘शौर्य स्थल’

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मार्मिक वीडियों जारी कर पुलिस ने साझा की जानकारी, 212 जवान शहीद हुए है

नागपुर ब्यूरो : महाराष्ट्र के गढ़चिरोली में व्याप्त नक्सलवाद का खात्मा करने के लिए चार दशकों से पुलिस के जवान विभिन्न आॅपरेशन में शहीद हुए है. अबतक 212 जवानों को गढ़चिरोली पुलिस ने गंवाया है. लेकिन अपने इन शहीदों की याद में गढ़चिरोली पुलिस दल ने ‘शौर्य स्थल’ बनाया है. एक ऐसी जगह जहां पर पहुंचकर हर व्यक्ति इन शहीदों की गाथा को न सिर्फ देख और सुन पाएगा बल्कि महसूस भी कर सकेगा.

जारी किया गया वीडियो

गढ़चिरोली पुलिस ने अपने इस ‘शौर्य स्थल’ को लेकर एक वीडियो भी जारी किया है. जिसमें एक मराठी कविता के माध्यम से अपने जवानों की शहादत को नमन किया गया है. ‘मैं रक्षक इस देश का….’ कहते हुए वीडियों में नक्सलवाद के खिलाफ लड़ते हुए अपने प्राण नौछावर करने वाले इन जवानों की यादों को संजोकर रखने की जो कोशिश पुलिस दल ने की है, उसके संबंध में बताया गया है.

क्या है इस शौर्य स्थल में?

गढ़चिरोली जिला मुख्यालय में ही ये शौर्य स्थल बनाया गया है. यहां पर आरंभ में ही अशोक चक्र लगाया गया है. साथ ही विभिन्न नक्सल विरोधी अभियानों के दौरान जब्त किए गए साहित्य, सामग्री भी यहां रखी गई है. जिला पुलिस के विभिन्न नागरी कृति कार्यक्रमों की भी जानकारी यहां पर उपलब्ध रहेगी. साथ ही वीरों की शुरता की यादों को लोगों तक पहुंचाने के लिए विभिन्न साहित्य भी यहां पर रखें गए है. उल्लेखनीय है कि इस स्थान पर आप अबतक नक्सलवादियों से लड़ते हुए शहीद हुए सभी 212 जवानों की तस्वीरें और उनके संबंध में जरूरी जानकारी यहां पर आसानी से देख सकेंगे.

हम बताना चाहते है, ये विकास शहादत की वजह से है…
गढ़चिरोली जिला पुलिस अधीक्षक शैलेष बालकवडे ने ‘आत्मनिर्भर खबर डॉट कॉम’ से बात करते हुए बताया कि हमें लंबे समय से ये लगता था कि जवानों की शहादत की गाथा सुनाने वाला एक शौर्य स्थल होना चाहिए. हम इस माध्यम से बताना चाहते है कि गढ़चिरोली में आज जो विकास संभव हो पा रहा है, वह हमारे जवानों की शहादत की वजह से है. हमारे अधिकारी और जवानों के साथ ही ये स्थल यकीनन सभी को प्रेरणा देगा. स्कूल और कॉलेजों के बच्चे जब यहां आएंगे तो वे हमारे आॅडियो -वीडियो सेक्शन में जाकर वीरों की गाथा सुन और देख सकेंगे. साथ ही शहीद परिवारों के सदस्य और उनके बच्चों को यहां आकर ये अहसास हो कि उनके पिता ने कितना बड़ा त्याग और बलिदान किया है.


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