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मल्लिका शेरावत बोलीं- बॉलीवुड सो कॉल्ड मर्दों के जरिए चलाया जाता है, इसीलिए मुझे ज्यादा काम नहीं मिला

‘मर्डर’ और ‘वेलकम’ फेम मल्लिका शेरावत ने पिछले साल वेब सीरीज नकाब से कमबैक किया था। अब उनकी रजत कपूर के डायरेशन और एक्टिंग वाली ‘आरके/आरके’ आ रही है। खास बातचीत में मल्लिका ने बताया कि आखिर क्यों उनका करियर इंडस्ट्री में उंचाई नहीं छू पाया है।

ये बात तो डायरेक्टर रजत कपूर से ही पूछनी पड़ेगी। मुझे भी फिल्म ऑफर हुई थी, मैंने भी उनसे यही पूछा था कि रजत जी ये टाइटल क्या है? डबल रोल वाला सस्पेंस तो फिल्म देखने के बाद ही पता चलेगा।

पचास के दशक में जो एक्ट्रेसेज होती थीं, गुलाबो उन पर बेस्ड है। तब की एक्ट्रेसेज में बहुत ठहराव होता था। उसे प्ले करना मेरे लिए बहुत चैलेंजिंग था। उनकी हर अदा में फेमिनिटी थी। वहीदा जी की ‘प्यासा’, ‘कागज के फूल’ वगैरह देखी। मीना कुमारी की ‘पाकीजा’ भी देखी। वो सब बड़ी पोएटिक फिल्म थी। वही सारी चीजें डायलॉग्स में मैं लेकर आई हूं। यह सारी चीजें हम करेंट टाइम में भूल चुके हैं।

सीरियस फिल्ममेकर इसलिए नहीं आ सके, क्योंकि मेरी ग्लैमरस इमेज मेरी शख्सियत पर भारी रही है। वो बेशक अब गुलाबो और OTT वाले ऑफर्स से हो रही है। उस दौर में एक्ट्रेसेस के अच्छे रोल भी नहीं लिखे जा रहे थे। ‘मर्डर’ सिर्फ हॉट फिल्म थी, वह कहना गलत होगा। क्योंकि उसके बाद बहुतों की हॉट फिल्में आईं, जो नहीं चलीं। कई हॉट एक्ट्रेसेस भी आईं, जो अपनी एक फिवरिश फिल्म के बाद आगे चल नहीं पाईं। ‘मर्डर’ के बाद स्ट्रॉन्ग फीमेल रोल की कमी तो रही है। अब OTT के चलते एक्ट्रेसेस का गोल्डन पीरियड आया है।

मैं रेगुलर टच में तो थी, मगर जब मुझे ‘मर्डर-2’ सुनाई गई तो उसमें मुझे कुछ मजबूती नजर ही नहीं आई। ‘मर्डर’ के बाद अगर मुझे कुछ बेटर चीज करनी थी तो वो सब ‘मर्डर’ से बेटर होनी चाहिए थीं। मेरे करियर में भट्ट साहब का बहुत योगदान रहा है। वो जब कुछ अच्छा ऑफर करेंगे तो मैं बेशक करूंगी।

बॉलीवुड बड़ी पेट्रियारकल जगह है। बड़े पॉवरफुल सो कॉल्ड मर्दों के जरिए चलाया जाता है। वो रात के 12 बजे कॉल कर कहा करते हैं आ के मुझसे मिलो। मैं ठहरी हरियाणा की जाट लड़की। मैं मना कर देती थी कि भई रात को ही ऐसा क्या डिसकस करना। तो वो सब चीजें मुझ पर उन जैसों की चली नहीं। एक और बात बताती हूं।

मैं दुबई में एक मल्टी स्टार कास्ट फिल्म कर रही थी। वो एक हिट फिल्म है, लोगों को काफी पसंद भी है। उस फिल्म का हीरो रोज रात मेरे दरवाजे को ठक-ठक करता था। कभी-कभी तो इतनी जोर से ठक-ठक करता कि दरवाजा ही टूट जाए। मैंने कभी वह दरवाजा नहीं खोला। उस हीरो ने फिर मेरे साथ कभी दोबारा काम नहीं किया।

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