फिक्की ने हाल में अपने पुरस्कार से विश्वराज एनवायरनमेंट प्राइवेट लिमिटेड के अरुण लखानी को सम्मानित किया. लाखानी ने पीपीपी प्रोजेक्ट के माध्यम से नागपुर शहर के इस्तेमाल किये गए गंदे पानी पर प्रक्रिया कर इसे पुःन इस्तेमाल योग्य बनाया. उल्लेखनीय है कि पहले यह गंदा पानी नालो के माध्यम से बह जाता था.
नागपुर ब्यूरो : सेवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) परियोजना के माध्यम से नागपुर शहर ने अपने लिए अगले 35 वर्षों के शुद्ध जल की व्यवस्था कर ली. साथ ही परिसर के पावर प्लांट को प्रक्रिया उपरांत का पानी इस्तेमाल के लिए आसानी से मिलने लगा. इस परियोजना के लिए फिक्की ने वर्ष 2020 का पुरस्कार विश्वराज एनवायरनमेंट के सीएमडी अरुण लखानी को घोषित किया है. 16 फरवरी 2021 को अरुण लखानी को यह पुरस्कार प्रदान किया गया.
प्राचीन समय से भारत सुजलाम सुफलाम भूमि मानी जाती रही है. इस देश में नदिया हमेशा से पूजी जाती रही लेकिन जैसे-जैसे शहरों में जनसंख्या बढ़ती गई इन नदियों में इस्तेमाल के बाद गंदा पानी इस कदर छोड़ा जाने लगा की नदियां गंदे नालों में तब्दील होती चली गई. तेजी से बढ़ते शहरो की जनसंख्या को एक तरफ पीने योग्य पानी के संकट से जूझना पड़ रहा है तो दूसरी ओर बड़ी मात्रा में गंदा पानी नालों से बह रहा है.
ऐसा माना जाता है कि जितना पानी शहरों में इस्तेमाल किया जाता है उसके 80% पानी गंदे पानी के रूप में रोजाना नालों में बह जाता है. इसमें से बड़ी मुश्किल से 30 फ़ीसदी गंदे पानी पर प्रक्रिया कर उसे छोटे शहरों में इस्तेमाल किया जा रहा है. आज भारत के ज्यादातर शहरों में पानी के स्त्रोत प्रदूषित हो चुके हैं. ऐसे में सेवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) के माध्यम से इस पानी पर प्रक्रिया कर दोबारा इस्तेमाल करने की बेहद जरूरत महसूस हो रही है. नागपुर शहर की जनसंख्या 27 लाख के करीब पहुंच चुकी है. यहां पर 700 एमएलडी शुद्ध पानी की दैनिक जरूरत है. मतलब करीबन 550 एमएलडी पानी हर दिन नालों में बह जाता है.
नागपुर शहर के इस्तेमाल किये गए गंदे पानी पर प्रक्रिया कर इसे पुःन इस्तेमाल योग्य बनाया
ऐसे में बढ़ते शहर की पानी की जरूरत को पूरा करने के लिए ट्रीटमेंट प्लांट लगाकर इस पानी को दोबारा इस्तेमाल योग्य बनाना बेहद जरूरी हो गया था. आज नागपुर में 80 फ़ीसदी गंदा पानी पीली नदी, पोहरा नदी और नाग नदी के माध्यम से गोसीखुर्द बांध में बह जाता है. इसी को लेकर हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई के दौरान ट्रीटमेंट प्लांट लगाने के लिए कहा था हालांकि नागपुर महानगरपालिका के लिए आर्थिक रूप से कमजोरी के चलते ऐसा कर पाना संभव नहीं था. इस समय पीपीपी के माध्यम से ट्रीटमेंट प्लांट लगाने का फैसला लिया गया. लक्ष तय किया गया था कि 200 एमएलडी पानी ट्रीटमेंट के बाद दोबारा इस्तेमाल किया जा सकेगा. यह परियोजना विश्वराज एनवायरनमेंट प्राइवेट लिमिटेड के साथ 30 साल के अनुबंध पर आरंभ की गई.
शत प्रतिशत परियोजना निजी निवेश के माध्यम से आरंभ हुई. जून 2018 में 200 एमएलडी गंदे पानी के ट्रीटमेंट प्लांट की शुरुआत हुई. इसमें से 190 एमएलडी पानी महाजेनको ने अपने खापरखेड़ा और कोराड़ी प्लांट के लिए इस्तेमाल करने की हामी भर दी. चुनौती यह थी कि बचा हुआ 1500 एमएम पानी प्रतिदिन घनी शहरी बस्तियों में पाइप लाइन के माध्यम से पहुंचाना है. जिसमें करीबन 6 स्थानों पर रेलवे लाइन को भी क्रॉस करना था. अगले 9 माह में यह परियोजना पूरी तरह से तैयार हो गई. इस परियोजना के माध्यम से नागपुर शहर ने अपने लिए अगले 35 वर्षों के शुद्ध जल की व्यवस्था कर ली. साथ ही परिसर के पावर प्लांट को प्रक्रिया उपरांत का पानी इस्तेमाल के लिए आसानी से मिलने लगा. इस परियोजना के लिए फिक्की ने वर्ष 2020 का पुरस्कार विश्वराज एनवायरनमेंट के सीएमडी अरुण लखानी को घोषित किया है. 16 फरवरी 2021 को अरुण लखानी को यह पुरस्कार प्रदान किया गया.