नागपुर ब्यूरो : कोजागिरी पूर्णिमा का उज्ज्वल चंद्रमा अपने शीतल प्रकाश के साथ पूरे आकाश को अपनी बाहों में ले लेता है । इस तरह के मनोरम वातावरण में, को-जागृर्ति की लय में मधुर गीतों की बारिश होने पर वातावरण अधिक सुखद और आनंदमय हो जाता है। इस सुखद और जादूई माहौल को और अधिक सुखद बनाने के लिए, हार्मोनी इवेंट्स की ओर से कोजागिरी गीतों का एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया ।
हिडन टैलेंट सीरीज़ के तहत हार्मोनी द्वारा प्रस्तुत कोजागिरी गीतों के इस विशेष कार्यक्रम में मृदुल पिम्पटकर, श्रद्धा तिडोले, स्वाति खडसे, पलक आर्या, प्रिया देशकर, विलास दांडगे, शिव राज, सुनील चिवाने ने विभिन्न गीतों की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम की परिकल्पना राजेश समर्थ ने की थी और श्वेता शेलगांवकर ने मंच संचालन दिया।
अॅड. प्रवीण मानपे ने नीले नीले अंबर पर.. गीत प्रस्तुत किया और सभी का ध्यान गहरे नीले आकाश की ओर आकर्षित किया। पलक आर्या के गीत वो चाँद खिला वो तारे खिले… ने श्रोताओं की आंखें पूर्णिमा के चांद की ओर मोड़ दीं। चंदा ओ चंदा… इस गीत के माध्यम से डॉ. अनिल चिवाने ने मानव जीवन में चंदामामा के स्थान को रेखांकित किया। स्वाति खडसे ने रुक जा रात ठहर जा रे… गीत का प्रदर्शन किया, जिसके द्वारा उन्होने चाँद को हमारे लिए एक ही जगह पर रहने की और उसकी सुंदरता को निहारने की बिनती की ।
चॉंद आहे भरेगा, ना ये चांद होगा ना तारे, चांद फिर निकला, रात का समा, चांदनी रात में जैसे चंद्रमा पर आधारित एकसे बढकर एक गीत कोजागिरी के विशेष औचित्य के साथ गायकों द्वारा प्रस्तुत किये गये। विलास दांडगे ने कार्यक्रम का समापन खोया खोया चांद इस गीत के साथ किया। कार्यक्रम की सफलता में मनोज पिदडी, हर्षल परते और सुनील बोम्बले ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।