नीचे हाईवे, बीच में फ्लाईओवर और सबसे ऊपर दौड़ रही है आपली मेट्रो
महाराष्ट्र की उपराजधानी का शहर नागपुर यूं तो अपने खट्टे -मीठे संतरों के स्वाद के लिए (सिटी ऑफ ऑरेंजेस) दुनिया भर में जाना जाता है, पर अब यह आर्किटेक्ट और इंफ्रास्ट्रक्चर के बेहतरीन नमूने की वजह से अपनी अलग और नई पहचान बना चुका है। नागपुर मेट्रो ने वह कारनामा कर दिखाया है, जो दुनिया के बड़े-बड़े विकसित देश भी नहीं कर पाए।
दरअसल, वहां पर डबल डेकर वायाडक्ट मेट्रो बनी है, जिसके तहत बेहद अनोखा नजारा देखने को मिलता है। नीचे आठ लेन वाला हाईवे, बीच में छह लेन वाला फ्लाईओवर और फिर सबसे ऊपर मेट्रो…जितना यह देखने में कठिन और करिश्माई लगता है, उतना ही इसे बनाकर यह साबित कर दिया गया कि भारत क्रिएटिविटी के मामले में बहुत कुछ कर सकता है।
3.14 किलोमीटर लंबे इस वायाडक्ट कंस्ट्रक्शन के तहत तीन मेट्रो स्टेशन आते हैं, जो कि छत्रपति नगर, जय प्रकाश नगर और उज्जवल नगर हैं। निर्माण में 2.7 किमी का हिस्सा चार लेन वाला है, जिसके तहत 500 मीटर का पार्ट छह लेन वाला है और नौ मीटर ऊंचाई वाला फ्लाईओवर है, जबकि मेट्रो ट्रैक 20 मीटर ऊंचा है।
इसमें रोचक बात यह है कि नागपुर मेट्रो के इस क्रिएटिव करिश्मे को इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में जगह मिली है। यही नहीं, इसे एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में भी शामिल किया गया है और फिर जाने-माने गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी शामिल किया गया। यह प्रोजेक्ट सरल न होने के बावजूद मेट्रो के इंजीनियर्स ने जमीन अधिग्रहित कर मेट्रो ट्रैक रेड किया और फिर कंस्ट्रक्शन के वक्त पूरी कॉस्ट (परियोजना की लागत) को कम कर दिया। यह समूचे भारत में इस तरह का इकलौता निर्माण है।
चूंकि, यह कमाल का कंस्ट्रक्शन था, लिहाजा केंद्रीय सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने भी इसकी जमकर तारीफ भी की। उन्होंने कहा था कि एनएचएआई को 20 प्रतिशत और नागपुर मेट्रो के कुल खर्चे में 20 प्रतिशत की सेविंग हुई। दोनों का योग मिला कर देखें तो इस तरह से कुल 40 फीसदी की रकम बचा ली गई।