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April Fool | फ्रांस में 440 साल पहले हुई थी अप्रैल फूल बनाने की शुरुआत

हर साल 1 अप्रैल को अप्रैल फूल दिवस मनाया जाता है। इसकी शुरुआत कब हुई, यह एक रहस्य ही है। लोग एक-दूसरे के साथ शरारत करते हैं और अंत में ‘अप्रैल फूल बनाया’ कहकर खुद ही बता भी देते हैं कि यह एक शरारत थी। अप्रैल फूल को जनता तक पहुंचाने में कई ब्रांड्स और मीडिया भी पीछे नहीं है। भारत में तो 1964 में अप्रैल फूल नाम से फिल्म तक बन चुकी है, जिसका गाना ‘अप्रैल फूल बनाया, उनको गुस्सा आया’ आज भी पहली अप्रैल को खूब याद किया जाता है।

कुछ इतिहासकारों के मुताबिक अप्रैल फूल की शुरुआत 1582 में हुई। फ्रांस में जूलियन कैलेंडर की जगह ग्रेगोरियन कैलेंडर अपनाया गया था। जूलियन कैलेंडर में हिंदू नववर्ष की तरह मार्च के अंत या अप्रैल की शुरुआत में साल शुरू होता था। यानी 1 अप्रैल के आसपास।

ग्रेगोरियन कैलेंडर यानी जनवरी से दिसंबर। जिन लोगों को कैलेंडर बदलने की जानकारी देरी से पहुंची, वे मार्च के आखिरी हफ्ते से 1 अप्रैल तक नववर्ष मनाते रहे और इस वजह से उन पर खूब चुटकुले बने। उनका मजाक उड़ाया गया। उन्हें अप्रैल फूल कहा गया। कागज से बनी मछलियों को उनके पीछे लगा देते। इसे पॉइसन डेवरिल (अप्रैल फिश) कहा जाता था। यह एक ऐसी मछली थी, जो आसानी से शिकार बन जाती थी। ऐसे में उन लोगों का मखौल बनता, जो आसानी से शरारत का शिकार हो जाते।

इतिहासकार अप्रैल फूल को हिलेरिया (आनंद के लिए लैटिन शब्द) से भी जोड़ते हैं। इसे सिबेल समुदाय के लोग मार्च के अंत में प्राचीन रोम में मनाते थे। इसमें लोग भेष बनाते और एक-दूसरे का और मजिस्ट्रेट तक का मजाक उड़ाते। इसे इजिप्ट की प्राचीन कहानियों से जोड़ा जाता है। कुछ लोग यह भी कहते हैं कि अप्रैल फूल का संबंध वर्नल इक्विनॉक्स या वसंत के आगमन से हैं। प्रकृति बदलते मौसम से लोगों को बेवकूफ बनाती है।

ब्रिटेन में अप्रैल फूल 18वीं सदी में पहुंचा। स्कॉटलैंड में यह दो दिन की परंपरा बना। ‘हंटिंग द गौक’ (मूर्ख व्यक्ति का शिकार) से शुरुआत होती थी, जिसमें लोगों को मूर्ख का प्रतीक समझे जाने वाले पक्षी का चित्र भेजना शामिल था। दूसरे दिन टेली डे होता था, जब लोगों के पीछे पूंछ या ‘किक मी’ जैसे संकेत चिपकाकर उनका मजाक उड़ाया जाता था।

जैसे-जैसे समय बदला, अप्रैल फूल मीडिया में भी पॉपुलर हो गया। 1957 में BBC ने रिपोर्ट दी कि स्विस किसानों ने नूडल्स की फसल उगाई है। इस पर हजारों लोगों ने BBC को फोन लगाकर किसानों और फसल के बारे में पूछताछ की थी। 1996 में फास्ट-फूड रेस्टोरेंट चेन टैको बेल ने यह कहकर लोगों को बेवकूफ बनाया कि उसने फिलाडेल्फिया की लिबर्टी बेल खरीद ली है और उसका नाम टैको लिबर्टी बेल रख दिया है। गूगल भी पीछे नहीं रहा। टेलीपैथिक सर्च से लेकर गूगल मैप्स पर पैकमैन खेलने तक की घोषणाएं कर यूजर्स को बेवकूफ बना चुका है।

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