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रमजान विशेष : कैसे मनाया जाता है रमजान और क्या है 3 अशरों की खासियतें

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रमजान, रहमतों और बरकतों का महीना है. 13 अप्रैल से रमजान का पवित्र महीना शुरू हो चुका है जो 12 या 13 मई को ईद के चांद के साथ खत्म होगा. इन 29 या 30 दिनों में मुसलमान खुदा की इबादत करते हैं और रोजा रखते हैं. इस्लामिक मान्यता के अनुसार, रमजान को 3 अशरों में बांटा जाता है, अरबी भाषा में इसका मतलब 10वां नंबर है. ये तीनों अशरे अलग अहमियत रखते हैं.

रमजान में मन को शुद्ध रखना बहुत जरूरी है. तभी रोजा पूरा होता है. इसके साथ ही रोजा रखने के दौरान व्यक्ति का पूरी तरह से अपने मन पर संयम रखना जरूरी है. रोजे के दौरान संयम का तात्पर्य है कि आंख, नाक, कान, जुबान को नियंत्रण में रखा जाना. रोजा रखने के लिए मुस्लिम लोग रोज सूरज उगने से पहले सहरी और शाम को सूरज डूबने के बाद इफ्तार के समय रोजा खोलते हैं और यह क्रम पूरे महीने चलता है.

रमजान की अहमियत

इस महीने में जितनी हो सके उतनी गरीबों की मदद करनी चाहिए. इबादत से राजी होकर खुदा बेपनाह रहमतें बरसाता है. अल्लाह ने पैगम्बर मोहम्मद (स.) पर रमजान के पवित्र महीने में ही पवित्र कुरान नाजिल (उतारा) किया था. इस महीने में एक ऐसी रात आती है जिसमें इबादत करने का सवाब बहुत ज्यादा होता है, जिसे शबे कद्र के नाम से जानते हैं. तीसरे अशरे की 27वीं शब को शब-ए-कद्र के रूप में मनाया जाता है. इसी मुकद्दस रात में कुरआन भी मुकम्मल हुआ. रमजान के तीसरे अशरे की पांच पाक रातों 21वीं, 23वीं, 25वीं 27वीं और 29वीं रात में शब-ए-कद्र को तलाश किया जाता है.

पहला अशरा

रमजान महीने के पहले अशरे यानि शुरुआती 10 दिनों को ‘रहमतों का दौर’ बताया गया है, जिसमें रोजा रखने वाले नमाज पढ़ते हैं और अल्लाह की इबादत करते हैं. साथ ही सभी मुसलमानों को अपने सामर्थ्य अनुसार गरीबों व जरूरतमंदों को दान आदि देते हैं.

दूसरा अशरा

रमजान महीने के दूसरे अशरे यानि अगले 10 दिनों को  ‘माफी का दौर’ कहा जाता है, जिसमें सभी मुसलमान अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं. इस्लाम धर्म के अनुसार, खुदा दूसरे अशरे पर नेक बंदों पर बहुत मेहरबान होता है और उनकी गलतियों को माफ कर देता है.

तीसरा अशरा

रमजान महीने का तीसरा अशरे यानि आखिरी 10 दिनों को ‘जहन्नुम से बचाने का दौर’ कहा जाता है. इस अशरे को सबसे ज्यादा महत्व दिया जाता है, जिसमें सभी जहन्नम से बचने के लिए दुआ करते हैं.

ईद के चांद से अलविदा होता है रमजान 

आखिरी अशरे के बाद यानि रमजान महीने के 29वें या 30वें दिन ईद उल-फ़ित्र मनाई जाती है जो इस बार 13 या 14 मई को होगी. यह मुस्लिमों का सबसे बड़ा त्योहार है, जिस दिन वो सेवइयां और शीर खुरमा बनाते हैं. इस्लाम धर्म की मान्यता के अनुसार, इस महीने में जहन्नुम के दरवाजे बंद और जन्नत के दरवाज़े खुल जाते हैं.

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