जानें कैसे एक घंटे का अंधेरा धरती को करेगा रोशन
नागपुर (ऑनलाइन डेस्क) : हर साल मार्च महीने के अंतिम शनिवार को रात 8:30 बजे दुनिया भर में लाखों लोग एक घंटे के लिए लाइटें बंद करके धरती की बेहतरी के लिए एकजुट होते हैं। इस दिन को दुनियाभर में अर्थ-ऑवर डे के नाम से जाना जाता है। इस बार अर्थ-ऑवर डे 27 मार्च को पड़ रहा है। इस मौके पर दुनिया के 180 से ज्यादा देशों में लोग रात 8.30 बजे से 9.30 बजे तक अपने घरों की लाइटें स्विच ऑफ करके ऊर्जा की बचत कर धरती को सुरक्षित रखने के लिए एकजुटता का संदेश देंगे।
ऐसे हुई थी शुरुआत
अर्थ आवर डे की शुरुआत वन्यजीव एवं पर्यावरण संगठन ‘वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर (WWF) ने साल 2007 में की थी। साल 2007 में 31 मार्च को पहली बार अर्थ आवर डे मनाया गया था। पहली बार इसका आयोजन ऑस्ट्रेलिया के सिडनी शहर में हुआ था। इसमें लोगों से 60 मिनट के लिए सभी लाइटें स्विच ऑफ करने की गुजारिश की गई थी। धीरे-धीरे इसे दुनियाभर में मनाया जाने लगा।
यह है मकसद
अर्थ आवर डे वर्ल्ड वाइड फंड (WWF) का एक अभियान है जिसका मकसद ऊर्जा की बचत और पर्यावरण सुरक्षा के प्रति लोगों को जागरुक करना है। वर्ल्ड वाइड फंड का उद्देश्य प्रकृति को होने वाले नुकसान को रोकना और इंसान के भविष्य को बेहतर बनाना है।
ग्लोबल वर्मिंग के खिलाफ कारगर हथियार
साल 2009 में भारत इस अभियान का हिस्सा बना था। आज अर्थ आवर डे एक आंदोलन बन चुका है। पर्यावरण विशेषज्ञों कहना है कि डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के इस वैश्विक अभियान की मदद से जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वर्मिंग जैसी समस्या से लड़ने में मदद मिलेगी। ऐसे में इसे एक दिन नहीं वरन हर दिन मनाना चाहिए।
@green_vigil appeals all citizens to take part in #EarthHour2021 , by switching off their nonessential lights today-27th March from 8.30 -9.30 pm (Local time), to show their commitment and support towards Climate Action & Planet Earth. #VoiceforNature #Connect2Earth #SwitchOff pic.twitter.com/kYTXJ6FMvX
— Green Vigil Foundation (@green_vigil) March 27, 2021
भारत में ऐसे हुई शुरुआत
दुनियाभर में अर्थ आवर डे के मौके पर लोगों से अपील की जाती है कि वे रात 8.30 बजे से 9.30 बजे तक अपने घरों और कार्यस्थलों पर गैरजरूरी लाइटें और बिजली से चलने वाले उपकरणों को निर्धारित समय तक बंद रखें। भारत ने साल 2009 में पहला अर्थ आवर डे मनाया था। इसमें 58 शहरों के 50 लाख लोग शामिल हुए थे। साल 2010 में भारत के 128 शहरों के 70 लाख से ज्यादा लोग इस पहल में शामिल हुए थे। इसके बाद यह संख्या बढ़ती गई है…
नागपुर और दिल्ली में की जा रही यह अपील
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और महाराष्ट्र की उपराजधानी के शहर नागपुर में पर्यावरण के क्षेत्र में काम कर रही एनजीओ और बिजली वितरण कंपनियों ने इसे सफल बनाने के लिए उपभोक्ताओं को जागरुक करने का अभियान शुरू किया है। बीते दस वर्षों में दिल्ली के लोगों ने साल 2018 में सबसे ज्यादा 305 मेगावाट बिजली बचाई थी। साल 2020 में 79 मेगावाट बिजली की बचत हुई थी। बीएसईएस के प्रवक्ता का कहना है कि कोरोना महामारी और जलवायु परिवर्तन से धरती का संकट बढ़ गया है जिसे रोकने के लिए सभी को कोशिशें करनी होगी. नागपुर मनपा अपने कार्यालयों और शहर के स्ट्रीट लाइट को अर्थ ऑवर के दौरान रखेगी।
इन एतिहासिक इमारतों पर बंद की जाती हैं लाइटें
पेरिस स्थित एफिल टॉवर, न्यूयॉर्क की एम्पायर स्टेट बिल्डिंग, दुबई का बुर्ज खलीफा और एथेंस में एक्रोपोलिस उन 24 वैश्विक स्थलों में से हैं जो लगभग हर साल अर्थ आवर में हिस्सा लेते हैं। भारत में अर्थ ऑवर के दौरान राष्ट्रपति भवन, संसद भवन और इंडिया गेट समेत कई एतिहासिक इमारतों में लाइटें बंद की जाती रही हैं। बीएसईएस नई दिल्ली में अर्थ ऑवर के दौरान गैर जरूरी लाइटें बंद रखेगी।