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संघ प्रमुख की नसीहत | कहा- धर्म संसद से जो कुछ भी निकला, वह हिंदू शब्द की परिभाषा नहीं

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धर्म संसद में कथित तौर हिंदू और हिंदुत्व पर कही बातों पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने आपत्ति जताई है। एक कार्यक्रम के दौरान संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि धर्म संसद में दिए गए अपमानजनक बयान हिंदू विचारधारा को परिभाषित नहीं करता है।

दरअसल, आरएसएस प्रमुख नागपुर से प्रकाशित एक मराठी अखबार के स्वर्ण जयंती समारोह के अवसर पर आयोजित ‘हिंदू धर्म और राष्ट्रीय एकता’ व्याख्यान को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने धर्म संसद के आयोजनों में कही गई बातों पर निराशा व्यक्त करते हुए कहा, “धर्म संसद की आयोजनों में जो कुछ भी निकला, वह हिंदू शब्द की परिभाषा नहीं है। उसके पीछे हिंदू कर्म या हिंदू दिमाग था।”

संघ प्रमुख भागवत ने कहा कि व्यक्तिगत लाभ या दुश्मनी को देखते हुए गुस्से में कही गई बात हिंदुत्व नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा, “संघ लोगों को बांटने में नहीं, बल्कि उनके बीच पैदा हुए मतभेदों को दूर करने में विश्वास करता है। इससे पैदा होने वाली एकता ज्यादा मजबूत होगी। यह कार्य हम हिंदुत्व के जरिए करना चाहते हैं।”

कार्यक्रम में संघ प्रमुख से जब सवाल किया गया कि क्या भारत हिंदू राष्ट्र’ बनने की राह पर है? जिसके जवाब में संघ प्रमुख ने कहा, “भले ही कोई इसे कोई स्वीकार करे या न करे, लेकिन यहां (हिंदू राष्ट्र) है। हमारे संविधान की प्रकृति हिंदुत्व वादी है। यह वैसी ही है जैसी कि देश की अखंडता की भावना। राष्ट्रीय अखंडता के लिए सामाजिक समानता जरूरी नहीं है। भिन्नता का मतलब अलगाव नहीं होता।”

क्या है धर्म संसद का मामला…
  • पिछले साल दिसंबर में उत्तराखंड के हरिद्वार में हुई धर्म संसद के दौरान धर्म की रक्षा के लिए शस्त्र उठाने, मुस्लिम प्रधानमंत्री न बनने देने, मुस्लिम आबादी न बढ़ने देने की बात कही गई। जिसके बाद उत्तराखंड पुलिस ने भड़काऊ भाषण देने वालों के खिलाफ कोतवाली हरिद्वार में धारा 153ए आईपीसी के तहत प्राथमिकी दर्ज की।
    दिसंबर 2021 में ही रायपुर में धर्म संसद-2021 में महाराष्ट्र से आए संत कालीचरण ने मंच से गांधीजी के बारे में अपशब्द कहे थे। मामले का बढ़ता देख छत्तीसगढ़ सरकार ने कार्यवाही के आदेश दिए। जिसके बाद कालीचरण महाराज को गिरफ्तार कर उसे 2 दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया।
  • पिछले महीने जनवरी 2022 में यति नरसिंहानंद ने एक इंटरव्यू के दौरान भारतीय संविधान और सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ आपत्तिजनक बयान दिया था। जिसके बाद सामाजिक कार्यकर्ता शचि नेल्ली ने कार्यवाही की मांग की। भारत के अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने संविधान और सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ कथित विवादित टिप्पणी को लेकर यति नरसिंहानंद के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने की अनुमति दी।
  • यति नरसिंहानंद और वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र त्यागी की रिहाई की मांग को लेकर केंद्र सरकार के सामने कुछ बड़े प्रस्ताव रखे गए। इन प्रस्ताव में भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित करने, धर्मांतरण को रोकने के लिए कानून को और सख्त किए जाने, मी यति नरसिंहानंद और जितेंद्र त्यागी उर्फ वसीम रिजवी को बिना शर्त जेल से रिहा किए जाने की भी मांग की गई। बता दें कि वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र त्यागी पर एक महिला ने आरोप लगाया था कि वसीम रिजवी के बहकाने पर ही यूवती के पिता न उसका रेप किया था।
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