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#आत्मनिर्भर | गोबर से बनाई देवताओं की मूर्तियां और दीये, पीलीभीत में खोल दिए शोरूम

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यह सुनने में थोड़ा अजीब लग सकता है कि गोबर से भी #आत्मनिर्भरता पाई जा सकती है लेकिन यह बात है पूरी तरह सच। पीलीभीत के जिलाधिकारी पुलकित खरे की पहल पर गांव में महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों को गोशालाओं के गोबर से जोड़ दिया। गोबर से विभिन्न तरह के उत्पाद बनाने का महिलाओं को प्रशिक्षण दिलाया गया। इसके बाद जब गोबर से विभिन्न तरह के उत्पाद तैयार किए जाने लगे तो उनके विपणन की व्यवस्था भी सुनिश्चित करा दी है।

राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत गांवों में महिलाओं के स्वयं सहायता समूह की सदस्यों ने गाय के गोबर से गरीबी दूर करने का जरिया तलाश लिया है। गाय के गोबर से निर्मित उनके उत्पाद शहर व कस्बे में लोग पसंद कर रहे हैं। गाय के गोबर से बनी मूर्तियां, धूपबत्ती, गमले, जैविक खाद बनाकर ये महिलाएं आमदनी जुटा रही हैं। गोबर से विभिन्न तरह के आकर्षक उत्पाद तैयार करने का कार्य 14 समूहों की लगभग डेढ़ सौ महिलाएं कर रही हैं। इन सभी समूहों के उत्पादों की बिक्री की शुरूआत नवरात्र में विकास भवन परिसर में शोरूम स्थापित करके कराई गई।

नवरात्र के दौरान जिलाधिकारी ने ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए इन उत्पादों की होम डिलीवरी की भी व्यवस्था करा दी थी। जो शोरूम तक जाना न चाहें, वे आनलाइन आर्डर देकर घर बैठे मंगवा सकें। अब जिले के प्रत्येक विकास खंड मुख्यालय पर भी सरस शोरूम कैंटीन की शक्ल में खुल गए हैं। इनका संचालन महिलाओं के स्वयं सहायता समूह कर रहे हैं। मरौरी विकास खंड के गांव देवीपुरा में इसी तरह दस महिलाओं को जोड़कर गठित हुए चांद स्वयं सहायता समूह इन दिनों गोबर से उत्पाद तैयार करने में जुटा है। दीपावली का पर्व आने वाला है। इस पर्व पर गोबर से बने दीये, मूर्तियों, धूपबत्ती आदि की मांग बढ़ने पर अच्छी बिक्री होने की संभावना है।

समूह की अध्यक्ष चंद्रकली के मुताबिक स्वयं सहायता समूह का गठन पांच साल पहले किया था। हमारे समूह में दस महिलाएं शामिल हैं। जिलाधिकारी की प्रेरणा से हम लोगों ने गोशाला से गोबर प्राप्त कर विभिन्न तरह की चीजें बनाने का कार्य शुरू कर दिया है। तैयार की जाने वाली चीजों की बिक्री जिला मुख्यालय पर विकास भवन परिसर में स्थित शोरूम और ब्लाक कार्यालय में खोली गईं कैंटीन के माध्यम से होगी। इसका फायदा समूह की सभी महिलाओं को मिलेगा।

डीआरडीए परियोजना अर्थशास्त्री जेसी जोशी सहायता समूह की महिलाएं विभिन्न तरह के स्वरोजगार कर रही हैं। जिलाधिकारी की प्रेरणा से दर्जन भर से अधिक समूह गाय के गोबर से दीये, धूपबत्ती, गमले, देवी देवताओं की मूर्तियां आदि बनाने लगे हैं। इससे समूहों की आय में बढ़ोत्तरी होगी। ग्रामीण महिलाएं राष्ट्रीय आजीविका मिशन के माध्यम से आत्मनिर्भर हो रही हैं।

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