गणेश चतुर्थी पर हर साल की भांति इस साल भी कई लोगो ने अपने घरों में बप्पा को स्थापित किया, उनकी सेवा की. कई लोग हर साल बप्पा को एक,तीन,पांच या दस दिन के बाद विदा कर देते हैं वहीं कुछ लोग पूरे 10 दिन तक बप्पा को अपने घर में रखते हैं. हर पूजा के बाद लोग मूर्ति का विसर्जन कर देते हैं फिर चाहे वो मां दुर्गा की क्यों ना हो. हर साल लोग घरों में नए लक्ष्मी-गणेश भी स्थापित करते हैं. ऐसे में ये विचार आना स्वाभाविक है कि आखिर क्यों हम बप्पा को विर्सजन करके ही अगले बरस तू जल्दी आ कहते है… Also Read- गणेशोत्सव 2020 : अगले 10 दिनों में ध्यान रखें ये 7 बातें, ऐसा करने से भी बचें
जहां के अधिपति हैं उन्हें वहां पर पहुंचाते है
भगवान गणेश को जल तत्व के अधिपति कहा जाता है, लेकिन मुख्य कारण तो उनके विसर्जन का यही है की अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान गणपति की पूजा अर्चना के बाद उन्हें वापस जल में विसर्जित कर देते हैं. यानि वो जहां के अधिपति हैं उन्हें वहां पर पहुंचा दिया जाता है. लेकिन पुराणों में इसे लेकर भी कई और बातें औऱ कहानिया कही जाती हैं.
गणेश जी को शीतल करने के लिए होता है विसर्जन
पुराणों में कहा गया है की श्री वेद व्यास जी ने गणपति जी को गणेश चतुर्थी से महाभारत की कथा सुनानी शुरु की थी और गणपति जी उसे लिख रहे थे. इस दौरान व्यास जी ने अपनी आंख बंद कर ली और लगातार दस दिनों तक कथा सुनाते गए और गणपति जी लिखते गए. दस दिन बाद जब व्यास जी ने अपनी आंखे खोली तो उस वक्त गणपति जी के शरीर का तापमान बेहद बढ़ गया था, जिस कारण व्यास जी ने गणेश जी के शरीर को ठंडा करने के लिए उन्हें जल में डुबकी लगवाई जिसके बाद उनका शरीर शांत हो गया. तभी से मान्यता है कि गणेश जी को शीतल करने के लिए उनका विसर्जन करते हैं. इसके बाद व्यास जी ने 10 दिनों तक गणपति जी को उनके पसंद का भोजन कराया था. इसी मान्यता के अनुसार गणपति जी की पूजा के बाद उनका विसर्जन किया जाता है.