खुशी से भर आईं पिता की आंखें
कुपवाड़ा के नारीकूट में एक फरवरी सुबह लगभग 4:15 बजे भारी बर्फबारी हो रही थी। यातायात पूरी तरह से बाधित था। इसी दौरान सेना के पास मदद के लिए एक फोन आया। फोन करने वाली आशा वर्कर ने बताया कि एक महिला को प्रसव पीड़ा हो रही है। बर्फबारी के कारण एंबुलेंस के साथ ही अन्य कोई वाहन उपलब्ध नहीं हो पा रहा है।
इस पर गर्भवती को उस इलाके से निकालने के लिए तुरंत मेडिकल टीम के साथ एक सेना की जिप्सी को नारीकूट भेजा गया। गर्भवती की हालत गंभीर होने पर आशा कार्यकर्ता ने टीम से अनुरोध किया कि सड़क किनारे वाहन खड़ा करें। उसने सेना की मेडिकल टीम के साथ जिप्सी के अंदर डिलीवरी कराने का फैसला किया।
जिप्सी के अंदर से एक स्वस्थ बच्ची के रोने की आवाज़ सुन सभी लोग खुशी से झूम उठे। इस दौरान नवजात के पिता की आंखों में आंसू आ गए। उन्होंने सेना के जवानों को शुभकामनाएं दी। इसके बाद महिला और नवजात शिशु को अस्पताल लाया गया। कंपनी कमांडर ने परिवार को उपहारों के साथ बधाई दी। सेना ने आशा कार्यकर्ता, सादिया बेगम को उनके आत्मविश्वास और विषम परिस्थितियों में उनकी निर्णायक भूमिका के लिए सम्मानित किया।