Home हिंदी जानकारी : भारत में इन 7 जगहों पर होती है रावण की...

जानकारी : भारत में इन 7 जगहों पर होती है रावण की पूजा, नहीं फूंके जाते पुतले

1119
दशहरा यानी विजय दशमी के त्योहार को बुराई पर अच्छाई की जीत का सबसे बड़ा प्रतीक माना जाता है. हर साल शारदीय नवरात्रि के समापन के साथ ही दशमी तिथि पर ये त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन प्रभु श्रीराम की पूजा होती है और रावण के पुतले का दहन किया जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं भारत में ऐसी कई जगह हैं, जहां रावण को जलाने की बजाए उसकी पूजा की जाती है.

उत्तर प्रदेश के बिसरख गांव में रावण का मंदिर बना हुआ है और यहां पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ लोग रावण की पूजा करते हैं. ऐसा माना जाता है कि बिसरख गांव रावण का ननिहाल था. इसीलिए यहां रावण को जलाने की बजाए उसकी पूजा की जाती है.

कहा जाता है कि मंदसौर का असली नाम दशपुर था और यह रावण की पत्नी मंदोदरी का मायका था. ऐसे में मंदसौर रावण का ससुराल हुआ. इसलिए यहां दामाद के सम्मान की परंपरा के कारण रावण के पुतले का दहन करने की बजाय उसकी पूजा की जाती है.

मध्य प्रदेश के रावनग्राम गांव में भी रावन का दहन नहीं किया जाता है. यहां के लोग रावण को भगवान के रूप में पूजते हैं. इसलिए इस गांव में दशहरे पर रावण का दहन करने के बजाए उसकी पूजा की जाती है. इस गांव में रावण की विशालकाय मूर्ति भी स्थापित है.

राजस्थान के जोधपुर में भी रावण का मंदिर है. यहां के कुछ समाज विशेष के लोग रावण का पूजन करते हैं और खुद को रावण का वंशज मानते हैं. यही कारण है कि यहां लोग दशहरे के अवसर पर रावण का दहन करने की बजाए रावण की पूजा करते हैं.

आंध्रप्रदेश के काकिनाड में भी रावण का मंदिर बना हुआ है. यहां आने वाले लोग भगवान राम की शक्तियों को मानने से इनकार नहीं करते, लेकिन वे रावण को ही शक्ति सम्राट मानते हैं. इस मंदिर में भगवान शिव के साथ रावण की भी पूजा की जाती है.

कांगड़ा जिले के इस कस्बे में रावण की पूजा की जाती है. मान्यता है कि रावण ने यहां पर भगवान शिव की तपस्या की थी, जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उसे मोक्ष का वरदान दिया था. यहां के लोगों की ये भी मान्यता है कि अगर उन्होंने रावण का दहन किया तो उनकी मौत हो सकती है. इस भय के कारण भी लोग रावण का दहन नहीं करते हैं बल्कि पूजा करते हैं.

इसी तरह की एक परम्परा महाराष्ट्र के गढ़चिरोली जिले में भी जारी है. आदिवासी समुदाय द्वारा यहां पर बरसों से रावण का पूजन होता है. कहा जाता है कि यह समुदाय रावण और उसके पुत्र को अपना देवता मानते हैं.


रीडर्स आप आत्मनिर्भर खबर डॉट कॉम को ट्वीटर, इंस्टाग्राम और फेसबुक पर फॉलो कर रहे हैं ना? …. अबतक ज्वाइन नहीं किया है तो अभी क्लीक कीजिये (ट्वीटर- @aatmnirbharkha1), (इंस्टाग्राम- @aatmnirbharkhabar2020), (फेसबुक- @aatmnirbharkhabar2020और पाते रहिये हमारे अपडेट्स.

Previous articleनेहा कक्कड़ ने रोहनप्रीत सिंह के साथ गुरुद्वारे में लिये फेरे
Next articleखरीदारी के लिए पूरा दिन शुभ, दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के लिए तीन मुहूर्त
वाचकांनो आपन “आत्मनिर्भर खबर डॉट कॉम” ला ट्वीटर, इंस्टाग्राम आणि फेसबुक पर फॉलो करत आहात ना? अजूनपर्यंत ज्वाइन केले नसेल तर आमच्या अपडेट्स साठी आत्ताच क्लिक करा (ट्वीटर- @aatmnirbharkha1), (इंस्टाग्राम- @aatmnirbharkhabar2020), (यू ट्यूब-@aatmnirbhar khabar )(फेसबुक- @aatmnirbharkhabar2020).