Home NCP #Sharad_Pawar | आज भी युवाओं जैसा जोश, राजनीति के चाणक्य

#Sharad_Pawar | आज भी युवाओं जैसा जोश, राजनीति के चाणक्य

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मुंबई ब्यूरो : आज रविवार 12 दिसंबर, 2021 को 81 वर्ष के होने जा रहे राजनेता शरद पवार देश के सर्वाधिक अनुभवी राजनीतिज्ञों मे से एक हैं। कैंसर की लंबी बीमारी के बावजूद उनकी सक्रियता में आज भी कोई कमी नहीं आई है। राष्ट्रवादी महिला काँग्रेस गढ़चिरोली की जिलाध्यक्ष शाहीनभाभी हकीम ने “आत्मनिर्भर खबर डॉट कॉम” से बात करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि आज भी उनके नेता शरद पवार में युवाओं जैसा जोश नजर आता है। उनके बारे में यह कहना ज्यादा बेहतर होगा कि वह राजनीति के चाणक्य है।

कश्मीर से कन्याकुमारी और कच्छ से कामरूप तक उनके अनगिनत राजनीतिक मित्र हैं। यह मित्रता उन्होंने अपने लंबे राजनीतिक जीवन में विभिन्न पदों पर रहते हुए अर्जित की है। उनके मित्रों की ऐसी ही सूची में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हैं।

एक-दूसरे पर राजनीतिक टिप्पणियां करना अलग बात है। लेकिन राष्ट्रहित एवं विकास के मुद्दे पर खरी बात कहना भी उन्हें आता है। कुछ ही दिनों पहले चीन के साथ सीमा विवाद के दौरान प्रधानमंत्री के साथ हुई सर्वदलीय बैठक में जब कुछ लोग राजनीति करते दिखे, तो शरद पवार उन्हें आईना दिखाने में पीछे नहीं रहे थे।

20 साल पहले जब कच्छ में भूकंप ने भारी तबाही मचाई तो खुद शरद पवार ने तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से कहा था कि उन्हें लातूर-उस्मानाबाद के भूकंप का अनुभव है, वह गुजरात में काम करना चाहते हैं। उनके इस प्रस्ताव की वाजपेयी ने न सिर्फ सराहना की, बल्कि उन्हें आपदा प्रबंधन समिति के प्रमुख की जिम्मेदारी भी सौंप दी।

मुलाक़ात के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से विभिन्न विषयों पर चर्चा करते हुए राकापा सुप्रीमो शरद पवार.

आज के दौर में न सिर्फ विपक्षी दल, बल्कि सत्ता पक्ष के लोग भी एक मजबूत विपक्ष की कमी शिद्दत से महसूस कर रहे हैं। ‘तथाकथित विपक्ष’ की दिशाहीनता उस विपक्षी दल के अंदर भी खदबदाहट पैदा कर रही है। सही और परिपक्व विपक्ष का न होना संसद और संसद के बाहर संवादहीनता की स्थिति पैदा कर रहा है। संसदीय और लोकतांत्रिक परंपरा दोनों का नुकसान हो रहा है। संसद में बैठने वाले देश के सभी छोटे-बड़े दल इस खालीपन को महसूस कर रहे हैं।

दूसरी ओर, शरद पवार अब कांग्रेस में भले न हों, लेकिन कांग्रेस से निकले हुए नेता हैं। आज भी कांग्रेस में अग्रिम पंक्ति के करीब-करीब सभी नेता उनके मित्र हैं। अन्य क्षेत्रीय दलों तक उनकी पहुंच संप्रग का विस्तार भी कर सकती है। संभवतः यही उम्मीद 80 की उम्र में भी शरद पवार को संप्रग के अध्यक्ष के रूप में देखना चाहती है, ताकि देश को एक मजबूत सरकार के साथ-साथ एक मजबूत विपक्ष भी नसीब हो सके।

देशासमोर आज अनेक प्रश्न, यावर आपल्यालाच उपाय शोधायचे आहे; शरद पवारांचे कार्यकर्त्यांना आवाहन

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