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INS DHRUV | समुद्र में आज उतरेगा देश का पहला न्यूक्लियर मिसाइल ट्रैकिंग जहाज, दुश्मन के परमाणु हमले का देगा मुंहतोड़ जवाब

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भारत आज (10 सितंबर) अपना पहला सैटलाइट और बैलिस्टिक मिसाइल ट्रैकिंग शिप आईएनएस ध्रुव (INS Dhruv) लॉन्च करने जा रहा है. इस 10,000 टन के जहाज को भारतीय नौसेना, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और राष्ट्रीय तकनीकी अनुसंधान संगठन (NTRO) के वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम से कमीशन किया जाएगा. आईएनएस ध्रुव देश के भविष्य की एंटी-बैलिस्टिक क्षमताओं के केंद्र में है. यह जहाज हिंद-प्रशांत क्षेत्र में देश की उपस्थिति को आगे बढ़ाने और उसे मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन और राष्ट्रीय तकनीकी अनुसंधान संगठन के सहयोग से हिंदुस्तान शिपयार्ड द्वारा तैयार INS ध्रुव दुश्मन की पनडुब्बियों के रिसर्च का पता लगाने के लिए समुद्र के तल को मैप करने की क्षमता रखता है. 10,000 टन का जहाज वर्गीकृत परियोजना का हिस्सा है. ये भारतीय शहरों और सैन्य प्रतिष्ठानों की ओर जाने वाली दुश्मनों की मिसाइलों के लिए एक अर्ली वार्निंग सिस्टम के तौर पर कार्य करेगा. चीन और पाकिस्तान दोनों के पास परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल क्षमता है.

इस साल चार जहाजों के लॉन्च होने की है उम्मीद

उम्मीद है कि इस साल भारत कम से कम चार जहाजों को लॉन्च कर सकता है, जिसमें एक बैलिस्टिक मिसाइल ट्रैकिंग जहाज आईएनएस ध्रुव है. इसके अलावा, स्टील्थ गाइडेड मिसाइल विध्वंसक आईएनएस विशाखापत्तनम और डीजल अटैक पनडुब्बी आईएनएस वेला, कलवरी का चौथा पोत क्लास भी इस साल के अंत तक शुरू हो जाएगी.

लंबी दूरी पर परमाणु मिसाइलों को ट्रैक करने में सक्षम

ध्रुव के पास डीआरडीओ द्वारा विकसित एक अत्याधुनिक एक्टिव स्कैन एरे रडार (AESA) भी है, जो इसे अलग-अलग स्पेक्ट्रमों को स्कैन करने, भारत पर नजर रखने वाली सैटेलाइटों की सर्विलांस करने और पूरे क्षेत्र में मिसाइल परीक्षणों की निगरानी करने में सक्षम बनाता है. आईएनएस ध्रुव भारत का पहला नौसैनिक पोत है जो लंबी दूरी पर परमाणु मिसाइलों को ट्रैक करने में सक्षम है. इससे भारत-प्रशांत क्षेत्र में परमाणु बैलिस्टिक युद्ध के बढ़ते खतरे को भी रोका जा सकेगा. इसके अलावा, आईएनएस ध्रुव दुश्मन की पनडुब्बियों की रिसर्च और डिटेक्शन के लिए समुद्र तल को मैप करने की क्षमता से भी लैस है.

हिंद महासागर के तल की मैपिंग करके आईएनएस ध्रुव भारतीय नौसेना को तीनों डायमेंशन, सब सर्फेस, सर्फेस और एरियल में बेहतर मिलिट्री ऑपरेशन की योजना बनाने में भी मदद करेगा. चीन और पाकिस्तान दोनों के पास परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल क्षमता है और भारत के साथ भूमि विवाद होने के कारण आईएनएस ध्रुव भारत की समुद्री सुरक्षा आर्किटेक्चर के लिए एक मेजर फोर्स मल्टीप्लायर के रूप में कार्य करेगा. इसके साथ ही जब वे अपनी बैलिस्टिक मिसाइलों का परीक्षण करेंगे तो विरोधी ताकतों की वास्तविक मिसाइल क्षमता को समझने में भी इससे मदद मिलेगी.

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