सार्क भारत का पक्षी बचाव अभियान
नागपुर ब्यूरो: मकर संक्रांति में भले ही एक दिन बचा हो लेकिन पतंगबाजों का जुनून अभी से नजर आने लगा है। कभी मनोरंजन के तौर पर उड़ाई जाने वाली पतंग आज पतंगबाजी के रूप में एक रिवाज, परंपरा और त्यौहार का पर्याय बन गया है लेकिन व्ययसायिकता ने इस मनोरंजन को रक्तरंजित कर दिया है। पतंगों की डोर से सांसों की डोर कट रही है। जिस्म लहूलुहान हो रहा है लेकिन खूनी मांजे पर रोक लगा पाना मुश्किल हो रहा है। हालांकि राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (ग्रीन ट्रिब्यूनल), कोर्ट और प्रशासन ने नायलोन मांजे पर रोक लगाई है लेकिन अभी भी नायलॉन मांजे की चोरी से बिक्री जारी है।
आकाश में इस बार देसी क्रांति दिखाई देंगी। पेंच लड़ाने की सारी तैयारियां बच्चा पार्टी से लेकर युवावर्ग ने कर ली है। अब देखना होगा की आसमान में कौन किसकी पतंग काटेगा? क्या वाकई पतंग कटेगी या आकाश में उनमुक्त रूप से विचरण करने वाले बेजुबान पक्षी कटेंगे? चीनी नायलॉन मांजे का सब लोग मिलकर सामूहिक बहिष्कार किया जाए तो उसे खरीदने वाला तो क्या दुकानदार भी उसे बेच नहीं सकेगा। पतंग काटने के बाद वही मांजा पेड़, बिजली के खंभे, बिल्डिंग के टीवी केबल और उड़ान पुलों पर झालर की तरह दिखाई देता है, परिणाम स्वरूप सड़कों पर दुर्घटनाएं होना आम बात हो गई है। चीनी नायलॉन मांजा लोगों के लिए नहीं बल्कि बेजुबान पशु पक्षियों के लिए घातक बन चुका है।

कल्पना करे की छोटी बच्ची को अपनी बाइक पर आगे बिठाकर कोई पिता घर जा रहा हो और हवा में उड़कर आए मांजे से उसकी बेटी की गर्दन कट जाए अथवा कटी हुई पतंग लूटने के लिए कोई बच्चा सड़क पर दौड़े और वाहन के नीचे आ जाए या फिर रेलवे लाइन के आसपास रहने वाले बच्चे पतंग लूटने के चक्कर में ट्रेन से टकरा जाए अथवा पतंग उड़ाते-उड़ाते कोई बच्चा छत से गिर जाए तो उसके परिवार पर क्या बीतती होगी? मगर ऐसा हो रहा है। हालाकि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए प्रशासन हर स्तर पर मुस्तैद है।

गत पंद्रह वर्षों से रेस्क्यू कर कई पशु-पक्षियों की जान बचाने वाले सर्च एंड रेस्क्यू कॉर्प्स एवं व्हाइट विंड्स ऐडवेंचर के रेस्क्यू टीम के निर्देशक भवन पटेल आपदा में मुसीबत में फंसे इंसानों और पशु-पक्षियों के लिए देवदूत बनकर उन्हें बचाने का काम करते हैं। उन्होंने बताया कि नगर के अनेक हिस्सों में पेड़ों पर अटके मांजे में फंसने से कई पशु-पक्षियों एवं बच्चों बड़ों को अपनी जान गंवानी पड़ती है। ऐसे में लाइफ सेवियर भवन पटेल की रेस्क्यू टीम ट्री क्लाइंबिंग लाइफ सेविंग रोप रेस्क्यू इक्विपमेंट की मदद से एवं हाइट सेफ्टी टेक्निकल ट्रेनिंग के अनुभव से काफी ऊंचाई पर टीवी केबल, ऊंचे पेड़, ऊंची इमारत के सीवर पाइप पर नायलॉन मांजे में फंसे पक्षियों को अपनी टीम के साथ रेस्क्यू कर सेमिनिरी हिल्स स्थित वन्यजीव ट्रांजिट ट्रीटमेंट सेंटर में पक्षी को सौंपकर पक्षी का पंचनामा बनाकर, सेंटर के डॉक्टर से इलाज करवाते हैं। कुछ दिनों तक वन्यजीव को डॉक्टर की निगरानी में रखकर उसे उसी रेस्क्यू वाली जगह या फिर जंगल में छोड़ दिया जाता है।

इसके लिए लाइफ सेवियर भवन पटेल ने हेल्पलाइन भी बनाई है। संतरा नगरी के लोगों से निवेदन किया गया है कि घायल पक्षी मिलने या पेड़, केबल में ऊंचाई पर फंसे होने पर उनके इमरजेंसी रेस्क्यू कॉल नंबर 9405700100 अथवा 8378900200 पर संपर्क किया जा सकता है। भवन पटेल और उनकी टीम नि:स्वार्थ भाव से समाज के लिए पक्षी बचाव अभियान का कार्य करते हैं।

कई बार पक्षियों को बचाने में अपना जीवन जोखिम में डालकर सैकड़ों पक्षियों की जान बचाने वाले भवन पटेल ने नागरिकों से अपील की है कि उनके इस पक्षी बचाव अभियान में शामिल होकर पक्षियों की जीवन बचाएं। वे चाइनीज मांजे से होने वाले नुकसान के बारे में भी लोगों को अवगत कराते हैं। उन्होंने कहा कि रेस्क्यू के दौरान घायल पक्षियों को बचाने के लिए उन्हें किसी कपड़े से पकड़े और कार्टून बॉक्स में छिद्र कर उसमें रखे और ट्रांजिट ट्रीटमेंट सेंटर में ले जाएं या रेस्क्यू कॉल पर संपर्क करें। पतंगबाजों से चाइनीज नायलॉन सिंथेटिक मांजा न लें। इसके स्थान पर कांच पाउडर कोर की डोर का इस्तेमाल करें। पतंग उड़ाते समय खुले मैदान का इस्तेमाल हो। पतंग पशु-पक्षियों, आॅटोमोबाइल गाड़ियों से दूर उड़ाएं। खुली छत अथवा टेरिस की दीवार का इस्तेमाल न करें। पतंग उड़ाते समय इस बात का ध्यान रखा जाए कि आपके सिर के ऊपर से बिजली का तार या इलेक्ट्रिक वायर न हो। सड़क अथवा मैदान पर पड़ा खुला मांजा उठाकर नष्ट करें।