नागपुर: पिछले 8 सालों से नागपुर शहर की ग्रीन विजिल फाउंडेशन पर्यावरण संस्था, EarthEcho International नामक अंतरराष्ट्रीय संस्था के साथ मिलकर नागपुर शहर के मुख्य तालाबों पर गणपति विसर्जन के प्रभाव की जाँच कर रही है. इसके तहत
साल में तीन बार, फरवरी महीने में, गणपति विसर्जन के पूर्व एवं गणपति विसर्जन के पश्चात शहर के फुटाला तालाब, सोनेगांव तालाब, गांधीसागर तालाब एवं सक्करदरा तालाब के पानी का परिक्षण किया जाता है.
EarthEcho International नामक अंतरराष्ट्रीय संस्था हर साल एक Data Book प्रकाशित करती है जिसमें विभिन्न देशों के नदी व तालाबों के data का समावेश होता है. पिछले 8 सालो से इस Data Book में ग्रीन विजिल फाउंडेशन के द्वारा तैयार किया गया नागपुर शहर के तालाबों के data का समावेश है.
सोमवार को किए गए तालाबों के पानी के परीक्षण के दौराण ग्रीन विजिल फाउंडेशन की टीम लीड सुरभि जैस्वाल ने कहा की सक्करदरा तालाब बहुत ही बुरे हालत में है. तालाब में पानी भी कम है एवं चारों तरफ जलकुम्भी फैला
है. जिसके कारण सक्करदरा तालाब में Dissolved Oxygen की मात्रा 3 mg/l पाई गई एवं Turbidity 80 JTU दर्ज की गई. अगर सक्करदरा तालाब में मूर्ति विसर्जन हुआ तो तालाब का पारितंत्र संपूर्ण रूप से ध्वस्त हो जाएगा.
सुरभि जैस्वाल ने कहा “आत्मनिर्भर खबर डॉट कॉम” से कहा कि पिछले साल गणपति विसर्जन के बाद फुटाला तालाब की हालत बहुत ख़राब हो गई थी, Dissolved Oxygen की मात्रा घट के 3.5 mg/l तक पहुंच गई थी जबकी तालाबों में Dissolved Oxygen की मात्रा 6 mg/l होना चाहिए. उन्होंने बताया कि पिछले 11 महीनों में अपने Self Purification की प्रक्रिया के तहत फुटाला, गांधीसागर और सोनेगांव तालाब की हालत काफी हद तक सुधरी है. सोमवार को फुटाला तालाब, गांधीसागर तालाब एवं सोनेगांव तालाब में Dissolved Oxygen की मात्रा 4.5 mg/l दर्ज की गई है एवं Turbidity फुटाला तालाब में 50 -60 JTU, गांधीसागर तालाब में 70-75 JTU सोनेगांव तालाब में 55- 60 JTU दर्ज की गई है. सुरभि जैस्वाल ने नागपुर के मुख्य तालाबों में कृत्रिम Aeration System लगाने की सलाह दी, जिससे पानी मे घुले हुए oxygen की मात्रा में वृद्धि होगी.
ग्रीन विजिल फाउंडेशन के डेप्यूटी टीम लीड मेहुल कोसुरकर ने कहा कि गर्मी के दिनों में सक्करदरा तालाब और सोनेगांव तालाब का सुख जाना चिंताजनक है. उन्होंने तालाब की गहराई बढ़ाने की सलाह दी ताकि तालाबों की जल भंडारण क्षमता में वृद्धि हो सके.